गिद्द बदल गए
पहले मरे जानवरों का
मांस खाते थे
हर गाँव के बाहर
मंडराते थे
आकाश की ऊंचाइयों से
नयी लाश को ताड़ लेते
अब ज़िंदा को भी नहीं
छोड़ते
अब गिद्द कम दिखते
मुश्किल से पहचाने
जाते
निरंतर वेश बदल
कर रहते
किस पर नज़र है ?
पता नहीं चलने देते
चुपके से वार करते
अब गिद्द भी
सफेदपोश हो गए
14-05-2011
855-62-05-11
No comments:
Post a Comment