फ़ोन की घंटी बजी,हंसमुखजी ने फ़ोन उठाया,
आवाज़ आयी, हंसमुखजी हैं ?
हंसमुखजी ने जवाब दिया,हाँ,हंसमुख बोल रहा हूँ ,
आवाज़ पहचान कर पूछा,कौन शर्मा ?
तेरी आवाज़ को क्या हो गया ?
लग तो रहा था तूं ही है,पर कुछ अजीब सी लग रही थी,
उत्तर आया,नाटक मत कर, बता क्या कर रहा है ?
“तुमसे बात कर रहा हूँ”
नहीं ,मेरा मतलब व्यस्त तो नहीं है ?
“फिलहाल तो तुमसे बात करने में व्यस्त हूँ”
मेरा मतलब,इसके पहले तो कुछ ख़ास तो नहीं कर रहा था ?
ख़ास तो अब भी नहीं कर रहा हूँ ,हंसमुख जी ने चिढ़ते हुए जवाब दिया
हँसते,हँसते शर्माजी बोले,नाराज़ ना हो,और बता कैसा है ?
अब तक ठीक था,अब तेरी बातों से सर में दर्द होना शुरू हुआ है
अच्छा,बकवास मत कर,एक गोली एस्पिरिन की ले ले
झल्लाते हुए हंस मुखजी बोले, सर दर्द गोली से ठीक नहीं होगा.
तुम फालतू बकवास करना बंद कर दो, ठीक हो जाएगा
अब झल्लाने की बारी शर्माजी की थी,चहकते हुए बोले
मेरी बात को बकवास कहते हो
मैं तुम्हारा दोस्त हूँ, कम से कम ठीक से तो बात करा कर
हंसमुख जी के दिमाग का पारा चढ़ गया .
चिल्ला कर बोले सुबह- सुबह दिमाग खराब कर दिया,
सारा समय बर्बाद कर दिया ,
ऊपर से चिल्ला रहे हो, मुझे नसीहत दे रहे हो.
कह कर क्रोध में फ़ोन बंद कर दिया.
फ़ोन की घंटी फिर बजी,
हंसमुख जी ने नहीं चाहते हुए भी फ़ोन उठाया
शर्माजी अब पहले से भी ज्यादा जोर से चिल्ला रहे थे
"कान खोल कर सुन लो ,आज के बाद कभी फ़ोन नहीं करूंगा "
हंस मुखजी बोले,पहले कहाँ कान बंद थे, जो धोंस दिखा रहे हो ,
खुद ही फ़ोन करते हो ,फिर फ़ोन नहीं करने की धमकी देते हो
मैं भी, ना तो तुम्हारा फ़ोन उठाऊंगा ना ही तुम्हें फ़ोन करूंगा
दो मिनिट बाद शर्माजी के फ़ोन की घंटी बजी,
फ़ोन उठाया, हंस मुख जी की आवाज़ थी,
कुछ कहते उस से पहले ही आवाज़ आयी
अरे सुन, प्रभाकर आया हुआ है ,शाम को खाने पर बुलाया है ,
तुझ को भी आना है .कितने बजे आयेगा ?
शर्माजी ने जवाब दिया,आठ बजे ,
हंसमुखजी बोले ,थोड़ा ज़ल्दी आना, गप्पें मारेंगे
शाम को तीनों दोस्त मिले, हँसते हँसते शर्माजी बोले,
हंसमुख ,तूँ गुस्सा बहुत करता है यार ,
हंस मुखजी ने जवाब दिया,तूँ भी फालतू फ़ोन बहुत करता है यार
प्रभाकर बोला, एक दूसरे के बिना,मन भी तो नहीं लगता है यार
तीनों खिलखिला कर हंसने लगे
16-05-2011
16-05-2011
866-73-05-11
(लघु,हास्य कथा)
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