Tuesday, May 24, 2011

सूरज की किरण ने ,चाँद की किरण से कहा

सूरज की किरण ने
चाँद की किरण से कहा
तुझसे ज्यादा मैं ज़रूरी
मैं दिन को रोशन करती
धरती को गर्मी देती
जीवों को
निरंतर ज़िंदा रखती
मेरी रोशनी बिना 
इंसान की ज़िन्दगी
अधूरी रहती 
चाँद की किरण ने
जवाब दिया
मैं तुम्हारे जाने के
बाद आती
काली रात को रोशन
करती
अपनी ठंडक से राहत
पहुंचाती
नयी सुबह की आशा
जगाती
जवाँ दिलों में प्यार का
जज्बा भरती
ना किसी को झुलसाती
ना गर्मी से बेहाल करती
नरमी से सब को लुभाती
बहन
क्यूं झगडा करती ?
तेरी जगह तूँ ज़रूरी
मेरी जगह मैं ज़रूरी
24-05-2011
923-230-05-11

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