मेरा छोटा सा कमरा
किसी महल से भी
किसी महल से भी
प्यारा लगता
हर दीवार ,खिड़की
हर दीवार ,खिड़की
घड़ी और कैलंडर
कौने में मेज
जिस पर लिखता पढता
खिड़की के बाहर
कौने में मेज
जिस पर लिखता पढता
खिड़की के बाहर
लहलहाता गुलमोहर
उस पर बैठा
फाख्ता का जोड़ा भी
फाख्ता का जोड़ा भी
मुझे अपना लगता
बरसों पुराना पलंग
गहरी नींद में सुलाता
बरसों पुराना पलंग
गहरी नींद में सुलाता
सब मेरे जीवन का हिस्सा
अँधेरे में भी क्या कहाँ पडा
सब दिखता उसमें
एक अजीब सा सुकून
मिलता उसमें
मेरा कमरा
अँधेरे में भी क्या कहाँ पडा
सब दिखता उसमें
एक अजीब सा सुकून
मिलता उसमें
मेरा कमरा
अब रहने की जगह नहीं
जीने का साधन हो गया
मेरा मन उसमें बस गया
मोह सिर्फ जीवों से होता
मेरा भ्रम टूट गया
चालीस वर्षों से रहते रहते
जीने का साधन हो गया
मेरा मन उसमें बस गया
मोह सिर्फ जीवों से होता
मेरा भ्रम टूट गया
चालीस वर्षों से रहते रहते
मेरा कमरा मेरा सबसे
करीबी रिश्तेदार हो गया
मेरा दिल कहता
जो आनंद निरंतर मुझे
मेरे कमरे में आता
वो कहीं और नसीब
मेरा दिल कहता
जो आनंद निरंतर मुझे
मेरे कमरे में आता
वो कहीं और नसीब
ना होगा
उसके बिना जीवन
उसके बिना जीवन
अधूरा लगेगा
31-05-2011
968-174-05-11
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