Tuesday, May 17, 2011

शादी की रस्म को निभाना था

हाथों में हाथ
आँखों में आँखें
चेहरे उदास
अश्क बह रहे
होठ सिले हुए
लफ्ज 
नहीं निकल रहे
दिल टूट गए
निरंतर खामोशी से
एक दूसरे को 
देख रहे
मुलाक़ात का
आखिरी दौर था
अब जुदा होना था
फिर ना मिलना था
अलविदा कहना था
उसका रिश्ता
किसी और से हो
चुका था
शादी की रस्म को
निभाना था
  दिखाना था    
17-05-2011
877-84-05-11
 

No comments: