वक़्त के
इस दौर में
इस दौर में
जब कहने से फुर्सत
किसी को नहीं
मैं खुशकिस्मत हूँ
मेरे दर्द को
सुनता है कोई
दूर से ही सही
मुझे हंसाता है कोई
ग़मों से निजात
ना दिला सके भले ही
फिर भी टूटे दिल को
जोड़ता है कोई
सूखे दरिया में
पानी बहाता है कोई
ठहरी हुयी ज़िन्दगी में
रवानी लाता है
कोई
कोई
01-02-2012
94-04-02-12
1 comment:
दिल ढूढंता है फिर वही फुरसत के रात दिन,
फुरसत है कि फुरसत से ख़फा। भाव ही भाव...
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