Wednesday, February 1, 2012

मेरे दर्द को सुनता है कोई

वक़्त  के
 इस दौर में
जब कहने से फुर्सत
किसी को नहीं
मैं  खुशकिस्मत हूँ
मेरे दर्द को
सुनता है कोई
दूर से ही सही
मुझे हंसाता है कोई
ग़मों से निजात
ना दिला सके भले ही 
फिर भी टूटे दिल को
जोड़ता है कोई
सूखे दरिया में
पानी बहाता है कोई
ठहरी हुयी ज़िन्दगी में
रवानी लाता है 
कोई
01-02-2012
94-04-02-12

1 comment:

induravisinghj said...

दिल ढूढंता है फिर वही फुरसत के रात दिन,
फुरसत है कि फुरसत से ख़फा। भाव ही भाव...