Monday, July 4, 2011

कर दिए अवशेष तुम्हारे,आज गंगा में प्रवाहित

कर दिए अवशेष तुम्हारे
आज गंगा में प्रवाहित
ख़त्म कर दी हर निशानी
तुम्हारी
उठ गया शोक काल
दुनिया से तुम्हारे जाने का
रह गयी केवल कुछ
किताबें और तसवीरें
कागज़ पर हाथ से लिखी
कुछ इबारतें तुम्हारी
बची गयी चंद यादें तुम्हारी
साल में इक बार श्राद्ध
तुम्हारा मनाएंगे
इसी बहाने याद तुम्हें
कर लेंगे
जब भी तस्वीर नज़र
आयेगी
तुम भी याद आ जाओगे
कभी कोई बात याद आयेगी
तो याद आओगे
चंद आंसू बहा लेंगे
चंद ठहाके लगा लेंगे
बाकी समय नेपथ्य में
छुपे रह जाओगे
बस में नहीं मेरे
हर पल तुम्हें याद करना
जीवन मुझे भी तो अपना जीना
निरंतर झंझटों से लड़ना
कहाँ समय इतना होता ?
हर पल याद कर सकूं तुमको
मेरा भी अंत
तुम्हारे जैसा ही होना है
जो भी हो रहा तुम्हारे साथ
उसे  सहना होगा
मुझे भी अभी से तैयार
होना होगा
इक दिन सत्य से
रूबरू होना होगा
04-07-2011
1135-19-07-11

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