Thursday, June 23, 2011

शब्द

शब्द निरंतर
दिमाग में उपजते
उथल पुथल मचाते
मन में गूंजते
जुबान से बोले जाते
मुंह से निकलते
कानों से सुने जाते
आँखों से पढ़े जाते
वाक्यों में बदलते
कलम के जरिये
कागज़ पर बाहर आते
शब्द नहीं होते
तो इंसान 
इंसान नहीं
हाड मांस का
पुतला भर होता
शब्द ही है
जो कभी साथ नहीं
छोड़ते
निशब्द में भी शब्द
होता
अनुनय में,विनय में,
प्यार में,प्रार्थना में
दुविधा में,
क्रोध में,विरोध में,
दुःख में,सुख में,
निरंतर  साथ निभाते 
 इंसान को इंसान से
जोड़ते भी तोड़ते भी
शब्द  जीवन
में जान फूंकते
बिना शब्दों के 
इंसान
मृत सामान होते
23-06-2011
1092-119-06-11

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