Wednesday, June 15, 2011

तूं सामने बैठी हो ,मैं तुझे देखता रहूँ

तूं  सामने बैठी हो
मैं तुझे देखता रहूँ
तेरी हर अदा को
निहारता रहूँ
ना सवाल करूँ 
ना तेरा हाल पूछूं ?
बस आँखों से लुत्फ़
लेता रहूँ
तेरी मुस्कान दिल में
ज़ज्ब करता रहूँ
निरंतर गुलाबी लबों में
किसी फूल का
अक्स देखूं
तेरी  झील सी नीली
आँखों में डूबता रहूँ
तेरे गेसूओं में 
उलझता रहूँ
तेरे गंदुमी रंग से
होली खेलता रहूँ
हसरत है कि
बस तुझे देखता रहूँ
15-06-2011
1050-77-06-11

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