Tuesday, June 28, 2011

उनके चक्कर में किसी और को छेड़ दिया

दिख गए थे हमें
देख कर भी ना
पहचाना हमें
हमने इशारा भी किया
उन्होंने देख कर भी
अनदेखा किया
हमने सब्र से काम लिया
उनके करीब पहुँच गए
हमें देख कर उन्होंने
किनारा कर लिया  
हमसे रहा ना गया
उनका हाथ पकड़ लिया
उन्होंने गाल पर तमाचा
जड़ दिया
हमारा सर भन्ना गया
गौर से देखा
किसी और को खड़े पाया
फिर ख्याल आया
नज़र का चश्मा घर
रह गया
उनके चक्कर में
किसी और को छेड़ दिया
निरंतर हफ्ते में
सातवीं बार धोखा
खाया
28-06-2011
1108-135-06-11

No comments: