Tuesday, June 7, 2011

औरों के दुःख मेरे दुःख से ज्यादा ?

हंसता हूँ
गले लग कर मिलता हूँ
मन ही मन रोता  हूँ
दिल करता
अपने गम किसी को बताऊँ
किसी कंधे पर आंसू बहाऊँ
ग़मों के बोझ से हल्का
हो जाऊं
फिर ख्याल आता है
औरों के दुःख 
मेरे दुःख से ज्यादा
क्यों दुखड़े उन्हें सुनाऊ ?
दुखियों के 
दुःख और बढाऊँ?
चेहरे पर निरंतर
मुखोटा  
लगा कर रखता हूँ
खुद हंसता हूँ
सब  को हंसाने की
कोशिश करता हूँ
07-06-2011
1020-47-06-11

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