Monday, June 20, 2011

दवा समझ ज़हर पीते हैं लोग

ज़िन्दगी से डरते
हैं लोग
होंसला खोते
हैं लोग
परेशा होते हैं लोग
मुसीबतों से भागते
हैं लोग
दवा समझ
ज़हर पीते हैं लोग
जान अपनी दे कर
सुकून पाते हैं लोग
सब्र क्यूं
रखते नहीं लोग?
खुदा से यकीन
क्यूं खोते हैं लोग ?
20-06-2011
1075-102-06-11

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