Tuesday, June 21, 2011

जन्म लेने वाला ,जन्म देने वाले से बड़ा नहीं होता

धरती में
बीजारोपण हुआ
बीज अंकुरित हुआ
पल्लवित हुआ
पौधा पनपने लगा 
पत्तियों से भर गया 
एक कली खिली
फूल का जन्म हुआ
सौन्दर्य और महक से
सब को लुभाने लगा
आकर्षण का केंद्र
अब पौधा नहीं फूल था
घमंड में फूल इतराने लगा
पौधे और पत्तियों को
भूल गया
निरंतर अहम् में 
रहने लगा
अहंकार में पत्तियों से
बात करना बंद कर दिया 
पौधा व्यथित होता रहा
नादानी 
समझ सहता रहा
समय के अंतराल में
पौधा मुरझा गया
फूल का भी अंत हुआ
समझ नहीं सका
अचानक क्या हुआ ?
भूल गया था
उसका सौन्दर्य 
पौधे की देन था
पौधा ही पालनहार था
पौधा ही उसके अस्तित्व
का कारण था
वो मात्र एक अंग था
चाहे संतान कितनी भी
ऊंचाइयां ले ले
जन्म लेने वाला
जन्म देने वाले से
बड़ा नहीं होता
21-06-2011
1080-107-06-11

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