हम
उनकी तारीफ़ में
कुछ कहते
वो शरमाकर हाथों में
मुंह छिपाते
हम उनकी आँखों में
झांकते
वो नज़रें नीची कर
लेते
हम मिलने को कहते
वो निरंतर बहाना
बनाते
हम खामोशी से चुप
बैठते
वो बिना बताये आ
जाते
ना हम उनके बगैर
ना वो हमारे बगैर
रह सकते
06-06-2011
1011-38-06-11
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