Monday, June 6, 2011

उनकी हर इच्छा पूरी करनी पड़ेगी

ज़िन्दगी शेर रह गयी
कब फिर ग़ज़ल बनेगी
पता नहीं
उनकी मिजाज पुरसी 
होती रहेगी
उन्हें मनाने की कोशिश
निरंतर  जारी रहेगी
माफी माँगू,
चाहे पैरों पर गिरूँ
गीत गा कर मनाऊँ ,
या नयी नज़्म सुनाऊँ
उनको चाहा है
उनसे दिल लगाया है
मोहब्बत की खातिर
उनकी हर इच्छा पूरी
करनी पड़ेगी
मेरी मंजिल मुझे
मिल कर रहेगी
06-06-2011
1016-43-06-11

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