Sunday, June 19, 2011

जिस्म को ताज़ा कौन रख पाया अब तक ?

जिस्म को ताज़ा
कौन रख पाया
अब तक ?
वक़्त ने किया
हर जिस्म को ज़र्ज़र
ऊंचाइयों से
ज़मींदोज़ हुआ
हर शख्श अब तक
फिर क्यों इंसान
अहम् में जीता
निरंतर भूलता
जो सब का हुआ
उसका भी
हाल वही होगा
उसे भी
सब यही छोड़ कर
जाना होगा
19-06-2011
1072-99-06-11

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