मेरा सच
अन्दर छुपा है
किसी को पता नहीं
अन्दर क्या है ?
जो दिखता है
वो सच कहाँ है ?
ना आइना सच बतात़ा
ना जुबां से सच कहता
मुखोटा चेहरे पर
लगाए घूमता हूँ
हंसता हूँ ,रोता हूँ
सच बहुत ख़ूबसूरती से
छुपाता हूँ
हकीकत में मुझे भी
पता नहीं
सच क्या होता
जो मन को भाये
वो सच होता
या
जो सब कह दें
वो सच होता
निरंतर सच की
तलाश में रहता हूँ
ज़िन्दगी यूँ ही जीता हूँ
18-06-2011
1069-96-06-11
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