Sunday, June 19, 2011

निरंतर सच की तलाश में रहता हूँ

मेरा सच 
अन्दर छुपा है
किसी को पता नहीं 
अन्दर क्या है ?
जो दिखता है
वो सच कहाँ है ?
ना आइना सच बतात़ा
ना जुबां से सच कहता
मुखोटा चेहरे पर 
लगाए घूमता हूँ
हंसता हूँ ,रोता हूँ
सच बहुत ख़ूबसूरती से
 छुपाता हूँ
हकीकत में मुझे भी
पता नहीं
सच क्या होता
जो मन को भाये 
वो सच होता 
या
जो सब कह दें 
वो सच होता
निरंतर सच की 
तलाश में रहता हूँ
ज़िन्दगी यूँ ही जीता हूँ
18-06-2011
1069-96-06-11

No comments: