सनम ने
वादा तोड़ा
रिश्तों से भ्रम टूटा
दिल को तोड़ा
मंझधार में छोड़ा
किनारे से दूर था
मौत के करीब था
बस डूबना बाकी था
इक
हाथ ने हाथ मेरा
पकड़ा
डूबते को सहारा
मिला
मौत के चंगुल से
बच निकला
खुदा का अंदाज़
निरंतर निराला
होता
इक हाथ लेता
इक हाथ देता
05-06-2011
1006-33-06-11
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