Sunday, June 5, 2011

मेरे अपने देश में सरकार के डंडे से घबरा रहा

डर से सहम रहा 
मेरे अपने देश में
सरकार के डंडे से 
घबरा रहा
क्या कहूं ?किसे कहूं ?
कैसे कहूं ?
निरंतर सोच रहा
क्या पता कौन सी बात ?
राज करने वालों को
नहीं भायेगी
चुप कराने की
साज़िश होगी
मेरे ऊपर भी लाठी
चलेगी
अब मैंने भी आँखें
खोल ली
लड़ने की ठान ली
लाठी गोली खा लूंगा
चुप नहीं बैठूंगा
भ्रष्टाचार से लडूंगा
निरंतर बात अपनी
कहूंगा
भारत को भ्रष्टाचार मुक्त
करने की लड़ाई में
तन मन धन से
सहयोग दूंगा 
05-06-2011
1005-32-06-11

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