Monday, June 20, 2011

निश्छल प्यार

छ वर्ष  का था
जब उनसे  परिचय हुआ
उन्हें देखते ही अपनत्व का
अहसास हुआ
उनका प्यार से बोलना
सलीके से पहनना ओढना
दमकता चेहरा
मुस्काराने पर 
धवल दन्त पंक्ती
मोती सी चमकती
साफ़ सुथरे 
साधारण वस्त्रों में
निश्छल खूबसूरती 
बिखेरती
क्रोध से कोसों दूर थी
किसी परी से कम नहीं थी
मेरे मन में उनके लिए
श्रद्धा और भक्ती तो थी ही
साथ ही एक अजीब सी
अनकही चाहत भी थी
जिस दिन स्कूल नहीं आती
मन में कई आशंकाएं उठती
जब तक 
अगले दिन नहीं दिखती
आँखें उन्हें ढूंढती रहती
मुझे स्कूल में पढ़ाती थी
कभी हाथ पकड़
चित्र बनाना सिखाती
उनका स्पर्श पाते ही
चाहते हुए भी 
कलम नहीं चलती
इस पर हौले से 
मेरे गाल पर
नर्म हाथों से लगाई 
हल्की सी चपत
उस उम्र में भी सिहरन 
पैदा करती
सौन्दर्य से मेरी पहली 
मुलाक़ात थी
प्यार की पहली 
अनुभूती थी
बड़ा होने पर , 
हर स्त्री में
निरंतर उन्हें ढूंढना 
मेरी मजबूरी थी
आज भी है , 
कल भी रहेगी
20-06-2011
1074-101-06-11

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