उनकी
तस्वीर को देखा
इक आह
मुंह से निकली
मुंह से निकली
यादें ताज़ा हो गयी
निरंतर
सीने में दबी हुयी
राख फिर से
सीने में दबी हुयी
राख फिर से
सुलगने लगी
दिल में
आग भड़कने लगी
आग भड़कने लगी
मिलने की ख्वाइश
होने लगी
वो नहीं दुनिया में अब
ये भी भूल गया
याद ना रहा
उनके गम में अब तक
अश्क बहा रहा था
दिल उनका था सिर्फ
इतना ख्याल रहा
इतना ख्याल रहा
06-06-2011
1009-36-06-11
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