Tuesday, June 28, 2011

उसके लिए बगीचा ही सब कुछ था

पैर उसके 
धूल से सने हुए
बिवाइयां फटी हुयी
हाथ मिट्टी में 
लथ पथ
लम्बे नाखून 
मिट्टी से भरे
सुबह से शाम
बगीचे में
काम करता था
सबके लिए खूबसूरत
फूल उगाता
किसी पौधे को 
सूखने ना देता
खुद कांटो में 
ज़िन्दगी जीता
बदबूदार खोली में 
 रहता
कभी,कभी 
भूखा रह जाता
मगर बगीचे को 
निरंतर महकाता
सुन्दर बगीचे का  
माली था
बगीचे को हरा 
भरा रखना
उसका मकसद था
घर परिवार का
ध्यान ना था
वो कर्म को पूजा 
मानता
उसके लिए बगीचा
ही सब कुछ था
दूसरों की खुशी के लिए 
जीता था 
28-06-2011
1107-134-06-11

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