Thursday, June 16, 2011

कोई और ख्याल अब कैसे आये ?

बीमार-ऐ-इश्क हूँ
कोई और ख्याल अब
कैसे आये ?
दिल में तूं ही बसी है
कोई और
अब कैसे नज़र आये ?
जितनी बार शीशा देखूं
मेरा अक्स भी तेरा
नज़र आये
दिल तुझे दे दिया
अब हर लम्हा तूं ही
नज़र आये
परदे के पीछे छुप
भी जाए
तो भी नज़र आ जाए
निरंतर
ख़्वाबों में तूं ही आए
तुझे पाना अब मकसद
बता तेरे सिवा अब और
क्या नज़र आये ?
15-06-2011
1051-78-06-11

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