Friday, June 3, 2011

जिधर निगाह उठाता,मुझे खुदा नज़र आता

जिधर
 निगाह  उठाता
मुझे खुदा नज़र आता
मंदिर,मस्जिद में
गिरजे ,गुरुद्वारे में
पेड़ में ,पहाड़ में ,
हँसते बच्चे मुस्काराते
 बूढ़े बाबा में
मुझे खुदा दिखता
बहती हवाओं में ,
खूबसूरत फिजाओं में
कल कल बहते पानी में
 खुदा दीदार अपना
कराता
चहकती चिड़िया,
महकते फूल
निरंतर खुदा का
अहसास कराते
ये चाँद ये सूरज
ये टिमटिमाते तारे
खुदा से तार्रुफ़ मेरा
कराते
हँसते रोते चेहरों में
गले लगते लोगों में
मुझे खुदा नज़र आता
जिधर निगाह उठाता
मुझे खुदा नज़र आता 
03-06-2011
991-18-06-11

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