Thursday, June 2, 2011

किस्मत को कोसता हूँ


हाथों की लकीरों को
निरंतर देखता हूँ
मोहब्बत में नाकामी की
लकीर ढूंढता हूँ
क्या फिर दिल
लगाऊँ ?
खुदा से पूछता हूँ
जवाब मिलने से
पहले ही
दिल की आवाज़
सुनता हूँ
फिर मोहब्बत में
उलझता हूँ
हमेशा की तरह मायूस
होता हूँ
01-06-2011
979-06-06-11

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