जंगल के
सभी पेड़ कट गए
इंसान के
लालच की भेंट
चढ़ गए
चढ़ गए
सीमेंट कंक्रीट के
मकान बन गए
केवल वही बचा था
अकेला खडा था
आँखों के सामने
हर साथी कटा था
एक एक पत्ता
डर से गिर गया
रोते रोते बुरा हाल था
चाहते हुए भी
कुछ ना कर सकता
सिर्फ अपनी बारी का
इंतज़ार था
इंतज़ार था
कब कटेगा निरंतर
सोचता
भगवान् से अवश्य
पूछेगा
क्या नहीं दिया
उसने इंसान को ?
फिर लालच हावी
क्यों हुआ ?
क्या इंसान,इंसान
नहीं रहा ?
01-07-2011
1118-02-07-11
No comments:
Post a Comment