Monday, February 6, 2012

रिश्तों को पेपर नैपकिन मत समझो


रिश्तों को
पेपर नैपकिन मत
समझो
काम में लिया
कूड़ेदान मैं फैंक दिया
रिश्तों को
जेवर भी मत समझो
दिखाने को पहना
अलमारी के लॉकर में
बंद कर दिया
आवश्यकता पडी तो
याद कर लिया नहीं तो
दिमाग के किसी कोने में
बंद कर दिया
रिश्तों को
जूता भी मत समझो
कई दिन नहीं पहनो तो
गंदा ही पड़े रहने दो
पहनना हो तो
पोलिश लगा कर
चमका दिया
काम नहीं आये तो भी
चमका कर रखो
रिश्तों को
सेफ्टी पिन जैसा भी
मत समझो
वैसे कद्र नहीं करो
कपड़ा फट जाए तो
ढूंढते रहो
रिश्तों को नाखून भी
ना समझो
थोड़े खराब लगने लगें तो
काट कर फैंक दिया 
रिश्तों को
हीरे की कीमती अंगूठी
समझो
गंदी हो जाए तो
साफ़ कर के फ़ौरन पहन लो
रेशम का कीमती रुमाल
सा समझो
कडवाहट से गंदे होने लगे
तुरंत साफ़ करो 
करीने से
सम्हाल कर रखों 
अपने बालों सा रखो
बार बार संवारते रहो
खुद के चेहरा सा
खूबसूरत बना कर रखो
रोज़ साफ़ करो ,
प्यार की क्रीम  ,
विश्वास का पाऊडर
लगाओ 
अच्छे व्यवहार से
उनका मेकअप करो ,
उन्हें और सुन्दर
बनाओ
06-02-2012
111-22-02-12

1 comment:

Anju (Anu) Chaudhary said...

वाह ....कितनी खूबसूरती से आपने रिश्तों को परिभाषित कर दिया ...बहुत खूब ..