Thursday, April 28, 2011

माँ के हाथों को देखो

माँ
के हाथों को देखो
खुर्दराहट उनकी
महसूस करो
उन में पडी
झुर्रियों को देखो
यूँ ही खुरदरे नहीं हुए
हाथ माँ के
नहलाया तुम्हें 
कपडे तुम्हारे धोये
रोटी हाथों से बनायी
बर्तन हाथों से मांजे
कभी उफ़ ना सुनी
तुमने उसकी
निरंतर जीवन जिया 
तुम्हारे लिए
क्या किया
तुमने माँ के लिए ?
क्या कहा माँ को तुमने ?
याद ज़रा कर लो ,
अंतर्मन टटोल लो
नहीं किया तो अब
कर लो
ख्याल माँ का कर लो 
पुन्य माँ का ले लो
जीवन सार्थक कर लो
28-04-2011
769-189-04-11

2 comments:

Unknown said...

बहुत शानदार लिखा.. बधाई

तीखे तड़के का जायका लें
संसद पर एटमी परीक्षण

लाल कलम said...

vah bahut sundar
achhi rachna
bahut bahut shubhkaamna