रात को चांदनी जब
मेरे घर के आँगन में
उतर कर
उसे अपनी रोशनी से
नहलाती
तो ख्याल आता है
क्यों नहीं
चांदनी के साथ
वो भी
नीचे उतर कर
मेरी ज़िन्दगी को
फिर से
रोशन कर देतीं
जुदाई को मिलन में
बदल देती
मेरे ग़मों को खुशी में
तब्दील कर देती
मुझे फिर से जीने का
मकसद दे देती
03-02-2012
104-14-02-12
6 comments:
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
मेरे ग़मों को खुशी में
तब्दील कर देती
मुझे फिर से जीने का
मकसद दे देती
बेहतरीन ।
behatarin ..add for publication
behatarin ..add for publication
मुझे फिर से जीने का
मकसद दे देती
sundar aur bhaavpoorn....
जुदाई को भी बेहद खूबसूरत एहसासों में ढाल दिया आपने
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