Friday, February 3, 2012

रात को चांदनी जब ..........

रात को चांदनी जब
मेरे घर के आँगन में 
उतर कर
उसे अपनी रोशनी से
नहलाती
तो ख्याल आता है
क्यों नहीं
चांदनी के साथ
वो भी
नीचे उतर कर
मेरी ज़िन्दगी को
फिर से
रोशन कर देतीं
जुदाई को मिलन में
बदल देती
मेरे ग़मों को खुशी में
तब्दील कर देती
मुझे फिर से जीने का
मकसद दे देती
03-02-2012
104-14-02-12

6 comments:

सदा said...

बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

सदा said...

मेरे ग़मों को खुशी में
तब्दील कर देती
मुझे फिर से जीने का
मकसद दे देती
बेहतरीन ।

shashi purwar said...

behatarin ..add for publication

shashi purwar said...

behatarin ..add for publication

***Punam*** said...

मुझे फिर से जीने का
मकसद दे देती

sundar aur bhaavpoorn....

Anju (Anu) Chaudhary said...

जुदाई को भी बेहद खूबसूरत एहसासों में ढाल दिया आपने