तमन्ना थी
इक कंधा ढूँढ लूं
ग़मों को
हल्का कर लूं
इत्मीनान से बात
दिल की कह दूं
इक कंधा ढूँढ लूं
ग़मों को
हल्का कर लूं
इत्मीनान से बात
दिल की कह दूं
मुंह खोलता उस से
पहले ही ज़माने को
खबर हो गयी
रंजिश
रखने वालों के
दिलों में
आग लग गयी
आग लग गयी
एक पाक रिश्ते को
इश्क का नाम
दे दिया
दे दिया
सारे शहर में बदनाम
कर दिया
ग़मों का बोझ और
बढ़ा दिया
निरंतर बेसहारे का
अकेला सहारा भी
छीन लिया
05-10-2011
1611-19-10-11
No comments:
Post a Comment