Friday, October 21, 2011

दिल का दरवाज़ा, ज़हन के दरीचे खोल दो


दिल का दरवाज़ा
ज़हन के दरीचे
खोल दो
जाने बिना ही हमसे
इतनी
नफरत ना करो
इतना तो याद रखो
चाँद अँधेरे में उगता है
कमल कीचड में
खिलता है
सूरत पर ना जाया करो
दिल को भी देखा करो
निरंतर
हर चाहने वाले को
आशिक ना समझा
करो
दिल से चाहने वालों की
कद्र किया करो
उन्हें भी
गले से लगाया करो
दरीचे =खिड़कियाँ
21-10-2011
1681-88-10-11

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