Saturday, October 15, 2011

माना की तुमने जिद ठान ली


माना की
तुमने जिद ठान ली
हाँ नहीं भरने की
कसम खा ली
मेरी दुआओं की
तासीर भी कम नहीं
बड़ी शिद्दत से खुदा से
माँगी है
निरंतर ईमान से
इबादत उसकी करी  
कोई वजह नहीं खुदा
दुआ कबूल ना करे
वो तुम्हारे जितना
जिद्दी भी तो नहीं
यकीन अभी मोहब्बत से
उठा नहीं
देर से ही सही
इक दिन तुम हाँ करोगी
खुद आकर गले
लगाओगी
मेरे दिल को राहत
दोगी  

15-10-2011
1655-63-10-11

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