Wednesday, October 12, 2011

अब नींद कहाँ आती



उनकी याद में
अब नींद कहाँ आती
पलकें थक कर
खुद-ब-खुद बंद
हो जाती हैं
मन की चीखें सोने
नहीं  देती हैं
कानों में
उनकी आवाज़
निरंतर गूंजती
दिल को बेहाल करती
अब ठंडी हवा भी
दिल की आग ठंडी
नहीं करती
उम्र अब बेबसी में
कटती
12-10-2011
1638-46-10-11

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