तुम्हारी चुप्पी
तुम्हारे ग़मों की कहानी
कह रही है
नहीं मिलने की मजबूरी
तुम्हें खामोश रख रही है
जब सुनने वाला ही नहीं
कहने से फायदा भी क्या
कह कर भी सहना है
चुप रह कर भी सहना है
जब मर मर कर जीना है
निरंतर जुदा रहना है
ग़मों को
अमृत समझ कर पीना है
इसके सिवाय
कोई और चारा भी
नहीं है
24-10-2011
1704-111-10-11
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