Monday, October 24, 2011

तुम्हारी चुप्पी तुम्हारे ग़मों की कहानी कह रही है


तुम्हारी चुप्पी
तुम्हारे ग़मों की कहानी
कह रही है
नहीं मिलने की मजबूरी
तुम्हें खामोश रख रही है
जब सुनने वाला ही नहीं
कहने से फायदा भी क्या
कह कर भी सहना है
चुप रह कर भी सहना है
जब मर मर कर जीना है
निरंतर जुदा रहना है
ग़मों को
अमृत समझ कर पीना है
इसके सिवाय
कोई और चारा भी
नहीं है
24-10-2011

1704-111-10-11

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