Monday, October 31, 2011

कल आज और कल


कल
आज और कल का
क्रम कभी ना टूटेगा
आज से कल बेहतर हो
मन सदा चाहेगा
बीता हुआ कल
याद अवश्य आयेगा
अच्छा रहा होगा
तो मन को अभिभूत
करेगा
बुरा रहा होगा
तो मन को व्यथित
करेगा
सोच का सिलसिला
निरंतर चलता
रहेगा
30-10-2011
1728-135-10-11

No comments: