Friday, October 7, 2011

तुम्हारा अंदाज़ बड़ा निराला


तुम्हारा
अंदाज़ बड़ा निराला
निरंतर
मन को लुभाता
दिख दिख कर
छिप जाना
हँस हँस कर रूठ जाना
खूब बात करना
फिर चुप्पी साध लेना
कभी मुंह चिढाना
फिर डर कर
माँ की गोद में मुंह
छुपाना
तुम्हारा नटखट
अंदाज़
मुझ को निरंतर
भाता
दिल में प्यार जगाता
तुम्हारे बिना मन
नहीं लगता
हर पल तुम्हें याद
करता
07-10-2011
1621-29-10-11
(बड़े भाई की स्नेह भरीचिट्ठी, छोटी बहन के नाम)

No comments: