Wednesday, October 12, 2011

क्यों फितरत तुम्हारी मिटती नहीं ?


क्यों फितरत
तुम्हारी  मिटती नहीं ?
नफरत की आग
बुझती नहीं
मौत के मंजर से
किसे सुकून मिला
अब तक
जो मजहब के नाम पर
मासूमों की जान लेकर
तुम्हें  मिलेगा
तुम्हें भी एक दिन
खुदा को जवाब
देना होगा
वक़्त रहते फितरत
बदल लो
दिल से नफरत
हटा दो
जुर्म अपना कबूल
कर लो
दहशत की ज़िन्दगी से
खुद को आज़ाद करो
मोहब्बत से जीने को
निरंतर
ज़िन्दगी का मकसद
बना लो
12-10-2011
1636-44-10-11

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