कुछ चुनिन्दा लफ़्ज़ों के तर्जुमे निरंतर की कलम से
(कुछ चुनिन्दा शब्दों के अर्थ निरंतर की कलम से)
वो मोहब्बत ही क्या
जो तडपाये नहीं
वो गम ही क्या
जो रुलाये नहीं
वो याद ही क्या
जो पीछे लौटाए नहीं
वो मुस्काराहट ही क्या
जो लुभाए नहीं
वो ज़िन्दगी ही क्या
जो जियो नहीं
वो आशिक ही क्या
जो कभी पिटे नहीं
वो ख्वाब ही क्या
जो सोते से जगाये नहीं
वो अरमान ही क्या
जो पूरे हो जाए
वो ख़ूबसूरती ही क्या
जो किसी को अपना
बनाए नहीं
वो दर्द ही क्या
जिस में
कोई चिल्लाए नहीं
वो मौत ही क्या
जो कभी आये नहीं
वो बेवफायी ही क्या
जो मोहब्बत करने वालों को
कभी डराये नहीं
वो मुलाक़ात ही क्या
जो कभी याद नहीं आये
वो हँसी ही क्या
जो आँखों में पाना ना लाये
वो इंतज़ार ही क्या
जो बेचैन ना करे
वो तुर्ज़मा ही क्या जो
जो समझ ना आये
वो कलम ही क्या
जो निरंतर ना चले
23-10-2011
1694-101-10-11
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