Wednesday, October 5, 2011

कुछ तो रात गहरी थी


कुछ तो रात गहरी थी
कुछ उसकी याद सता
रही थी
दिल के सन्नाटे में
उसकी आवाज़ गूँज
रही थी
ख्वाबों की दुनिया में
सिर्फ वो  नज़र आ
रही थीं
शराब निरंतर अपना
असर दिखा रही थी
हर घूँट के साथ
ज़िन्दगी मौत लग
रही थी
रोज़ की बात आज फिर
दोहरायी जा रही थी
किस्मत अपना खेल
दिखा रही थी
जुदाई के गम में
ज़िन्दगी
तमाम हो रही थी
05-10-2011
1618-26-10-11

No comments: