गर जहाँ में गम
ना होता
खुशी का क्या ख़ाक
अहसास होता
रोने हँसने में फर्क
पता ना पड़ता
ज़माने के दिलकश
समाँ का
गुमाँ ना होता
ज़मीन आसमाँ
एक दिखता
निरंतर
सहारे के लिए
कोई कंधा ना ढूंढता
मोहब्बत ,नफरत में
फर्क ना रहता
गर जहाँ में गम
ना होता
13-10-2011
1643-51-10-11
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