किस बात से डरते हैं आप
क्यों मन में चोर पालते हैं
क्यों खुल कर बोलते नहीं आप
क्यों आँख मिचोली खेलते हैं
निरंतर इच्छाएं दबाते हैं आप
खुद को तकलीफ देते हैं
ज़माने से घबराते हैं आप
अगर सच्चे मन से चाहते हैं
क्यों हकीकत छिपाते हैं आप
कोई पाप नहीं करते हैं
रिश्ते को इज्ज़त बख्शें आप
निरंतर मन में बोझ ना पालें
अब हल्का कर दीजिये आप
ईमानदारी से सब को बता दें
हम को भाई मानते हैं आप
30-10-2011
1725-132-10-11
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