Saturday, October 15, 2011

अब हसरतों से मन भर गया


अब हसरतों से मन
भर गया
उम्मीदों का सिलसला
टूट गया
निरंतर नाकामियों से
पीछा छूट गया
जो मिलना था सो
मिल गया
दिल को दर्द से
निजात मिल जाए
सुकून से सो सकूँ
नींद बरसों की पूरी
कर लूं
जीने का मकसद
हो गया
15-10-2011
1659-67-10-11

No comments: