Sunday, October 16, 2011

एक चेहरा हुबहू तुम्हारे जैसा


एक चेहरा
हुबहू तुम्हारे जैसा
निरंतर
यादों में समाता था
खवाबों को बसाए
रखता
तन्हाईओं में रोने
नहीं देता
ज़िन्दगी के सूरज को
अस्त नहीं होने देता था
तुम को देखा जब से
अब वो चेहरा
हैरान नहीं करता
शाम का सूरज
अब सवेरे का दिखता
मुझे तनहा नहीं
रखता
अब तुम्हारा चेहरा
मेरी आँखों के
सामने रहता
16-10-2011
1663-71-10-11

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