Friday, October 7, 2011

माँ तुमने कभी निराश नहीं किया



  माँ तुमने कभी
निराश नहीं किया
जब भी विपत्ती आयी
तुम्हारे पास
दौड़ा चला आया
तुमने गले से लगा कर
सहारा दिया
भूख लगी,
तुमने भोजन खिलाया
सर दुखा ,
तुमने सर दबाया
नींद आयी,
तुमने गोद में सुलाया
घबराहट में तुमने
पीठ पर हाथ फिराया
डर लगा
तुमने आँचल में छुपाया
खुद रोई
तुमने मुझे हँसाया
खुद जागी मुझे सुलाया
मेरी नादानियों को
चुपचाप सहा
मेरी उम्मीदों को सदा
पूरा किया
माँ सदा तुमने अपना धर्म
निभाया
सदा निस्वार्थ प्यार दिया
खुद से ज्यादा मुझ को
समझा
अपने लिए कभी कुछ
ना माँगा
जो भी दिया तुमने दिया
माँ तुमने कभी निराश
नहीं किया    
07-10-2011
1619-27-10-11

No comments: