Saturday, October 1, 2011

कोई पराया अपना हुआ

आज
नया रिश्ता बना
कोई पराया अपना
हुआ
दिल की बातों को
उसने
बड़े सब्र से सुना
मेरे दर्द को समझा
बातों से दिलासा
रोने को कंधा दिया
मन हल्का हुआ
निरंतर बुझे चेहरे पर
सुकून का आगाज़ हुआ
हालात से लड़ने का
नया होंसला मिला
मन में छिपे दुखों को
विराम मिला
रिश्तों पर यकीन
कायम हुआ
इंसानियत ज़िंदा है
आज अहसास हुआ
आज
नया रिश्ता बना
कोई पराया अपना
हुआ
30-09-2011
1586-157-,09-11

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