Saturday, October 1, 2011

ज़िन्दगी बहुत गुजार ली दर्द दिल में लिए

ज़िन्दगी
बहुत गुजार ली
दर्द दिल में लिए
कोई सहारा मिले
बात मन की सुन ले
दिल में बरसों से
चुभ रही फास को
निकाल दे
निरंतर उस चेहरे को
ढूंढता रहा  
चेहरे पर हँसी लाये
उजड़े हुए गुलशन में
फिर से बहार लाए
माली की
तलाश में निरंतर
भटक रहा हूँ
मायूस हो गया हूँ
मगर
उम्मीद नहीं छोडी 
यकीन मुझे खुदा पर
कभी तो ग़मों से
राहत मिलेगी
लबों पर मुस्कान
होगी
30-09-2011
1587-158-09-11

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