Saturday, October 1, 2011

वाह रे,पेंसिल

मानव जीवन की   
महत्वपूर्ण देन है तूँ  
जन्म से अब तक
निरंतर चल रही है तूँ
इंसान के हाथों में
खेल रही है तूँ
ना थकती,ना रुकती
विचारों को कागज़ पर
उकेरती है तूँ
अच्छी,बुरी बातें
लिखती है तूँ
राजा से रंक तक
बिना भेद भाव के
काम आती है तूँ 
बार बार छीली जाती 
फिर भी  क्रंदन नहीं
करती है तूँ
जीवन के आखिरी
पड़ाव पर दुत्कारी
जाती है तूँ
फिर भी चुप रहती है तूँ
सब्र और हिम्मत से
बहुत कुछ सहती है तूँ
कभी लेती नहीं ,
सदा देती है तूँ
ह्रदय से नमन तुझ को
मनुष्य को अमूल्य
सीख देती है तूँ
मानव जीवन के लिए
वरदान है तूँ
01-10-2011
1592-01-10-11

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