Saturday, February 12, 2011

मौसम बदला, पतझड़ आया




246—01-11
 

मौसम बदला
पतझड़ आया
तेज हवाओं का चलना
पत्त्तों का गिरना
शुरू हुआ
बूढ़े पीले पड़ चुके पत्तों का
वृक्ष से गिरना
ज़मीन में दफ़न होना
प्रारम्भ हुआ
वृक्ष का कलेवर बदल गया
अपनों से बिछड़ गया
माहौल गमगीन हुआ
पंछी उड़ गए
घोंसले खाली हो गए
एक युग समाप्त हुआ
नए युग का उदभव हुआ
नयी कोपलें फूटने लगी
पत्तियों में बदलने लगी
रौनक वृक्ष की लौटने लगी
वृक्ष फिर हरा हुआ
नया रंग रूप लिया
पंछी बैठने लगे,
नए घोंसले बनाने लगे
चहचाहट से नए युग का
स्वागत किया
कलियों का जन्म हुआ
फूलों की आशा में
मौसम खुशगवार हुआ
नया युग आया
निरंतर युग बदलता
नया आता, बूढा होता
पीला पड़ता, ,फिर लौट
जाता
क्रम जीवन का यूँ ही
चलता

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